धुल स्वंय अपमान सह लेती है और बदले में फूलो का उपहार देती है
-रबिन्द्रनाथ टैगोर
जब क्रोध आये तो उसके परिणाम पर विचार करो
कन्फ्युसियस
किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वंय करना चाहिए .
नेपोलियन
हमारी रूचि हमारे जीवन की परख है,हमारे मनुस्यत्व की पहचान है
रस्किन
धनि को अपने धन का मद रहता है .अंहकार रहता है ,परन्तु गरीबो की झोपड़ी में आमद और अहंकार के लिए स्थान नहीं रहता
प्रेमचंद
एकता में रहना ही महान आत्माओं का भाग्य है।
शोपेनहार
ईर्ष्यालु मनुष्य स्वंय ही इर्श्यार्गिनी में जला करता है ,उसे और जलाना ब्यर्थ है.
शादी
एकता में रहना ही महान आत्माओं का भाग्य है।
शोपेनहार
ईर्ष्यालु मनुष्य स्वंय ही इर्श्यार्गिनी में जला करता है ,उसे और जलाना ब्यर्थ है.
शादी
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