तनहा था हर दिन मै ,तेरे याद आया तो मै रो लिया .
सुन- सुन ओ सोंडिया ,तेरे बिन मै जी लिया।
एक दिन भी ऐसा ना था जो तेरे याद न आया,
अब भी उन यादो को खो ना पाया,
तुझ्झे भूलने की कोसी हर बार की ,
तुझे पाने की भी कोसिस हर बार की ,
फिर भी कुछ रह गया था कसर अभी बाकी ,
जो सब कुछ देकर भी,और भी कुछ देने की चाहत आज भी थी।
तेरे यादो ने भी कोई कसर कंहा छोड़ा , तड़पाने की कोसिस आज भी की ,
वो पहली बार का मिलना-मिल कर बिछड़ना फिर इन्तेजार करना ,
तुझ्हे याद करना ,तुझ्हे देखना ,तुझे पाना, कुछ अपने आप से कहना,
तेरे बिन तड़पना हर बात याद है , फिर भी तुझ्झे पाने की चाहत मैंने आज भी की।
सुन -सुन ओ सोंडिया, तेरे बिन मै जी लिया ,
तनहा था हर दिन मै तेरे याद आया तो मै रो लिया।