एक बार जो तुझ्झे कोई देखा होगा
फिर रब से हज़ार बार देखने की दुआ किया होगा।
जो माँगा ना कभी रब से, वो तेरे लिए दुआ किया होगा ,
तेरे चाहतो के खातिर वो भी फकीर बना होगा।
,हो जाओ जिंदगी भर के लिए मेरी,
यही खुसिंयो का आखरी लकीर खीचा होगा।
,तुझे देख -देख कर मरू यही आखरी इन्तेजा होगा
फिर कोई रुसवाई ना होगी , तुझे कोई दिल से चाहने वाला ना था।
यही सोचकर -यही सोचकर ,
तू भी कभी रोई होगी, तो कभी मुस्कराई होगी,
पर मेरी आखरी चाहत को तू ना कभी भुलाई होगी।
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