Saturday, June 1, 2013

9 BEAUTIFUL MESSAGES...

9 BEAUTIFUL MESSAGES...

1) stay away from anger...
It hurts...Only You!

2) If you are right then there is no need to get angry, 
and if you are wrong then you don't have any right
to get angry.

3) Patience with family is love, 
Patience with others is respect.
Patience with self is confidence and Patience with
GOD is faith.

4) Never think hard about the PAST, It brings tears...
Don't think more about the FUTURE, It brings fears...
Live this moment with a smile,
It brings cheers

5) Every test in our life makes us bitter or better,
Every problem comes to make us or break us,
The choice is ours whether we become victims or
victorious

6) Beautiful things are not always good but good
things are always beautiful

7) Do you know why God created gaps between
fingers?
So that someone who is special to you comes and fills
those gaps by holding your hand forever

8)Happiness keeps you sweet so try n be as happy
from within as possible

9)God has send us all in pairs...someone ¬¬...somewhere is
made for u...so wait
for the right time n right moment..

देश गान

देश गान
















मन समर्पित, तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

माँ तुम्हारा ॠण बहुत है, मैं अकिंचन
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजा कर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण

गान अर्पित, प्राण अर्पित
रक्त का कण कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

मांज दो तलवार, लाओ न देरी
बाँध दो कस कर क़मर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया घनेरी

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

तोड़ता हूँ मोह का बन्धन, क्षमा दो
गांव मेर7, द्वार, घर, आंगन क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो
और बायें हाथ में ध्वज को थमा दो

यह सुमन लो, यह चमन लो
नीड़ का त्रण त्रण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

बिहारी होने का गर्व--
















बिहारी होने का गर्व--
बिहार - जहाँ सबसे पहले महाजनपद बना!
बिहार - जहा बुद्ध को ज्ञान मिला
बिहार - जहाँ के राजा चन्द्रगुप्त मौर्या से लड़ने की हिम्मत सिकंदर को भी नही हुई
बिहार - जहाँ के राजा महान अशोक ने अरबतक हिंदुस्तान का पताका फहराया
बिहार - जहाँ महर्षि बाल्मीकि, अश्त्रवारका, राजा जनक, राजा जराशंध,पाणिनि(जिसने संश्कृत व्याकरण लिखा), आर्यभट (जिसने पहली बार पता लगाया की सूर्य धरती का चक्कर लगता है ), चाणक्य(महान अर्थशात्री ),कालिदास, तुलसीदास ,रहीम, कबीर का जन्म हुआ !
बिहार - जहाँ के ८० साल के बूढ़े ने अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए (बाबु वीर कुंवर सिंह )
बिहार - जिसने देश को पहला राष्ट्रपतिदिया
बिहार - जहाँ के गोनू झा के किस्से पुरे हिंदुस्तान में प्रशिद्ध है !
बिहार - जहाँ महान जय प्रकाश नारायण का जन्म हुआ !
जहाँ - स्वामी सहजानंद सरस्वती
राम शरण शर्मा
राज कमल झा
विद्यापति
रामधारी सिंह ‘दिनकर'
रामवृक्ष बेनीपुरी
देवकी नंदन खत्री
इन्द्रदीप सिन्हा
राम करण शर्मा
महामहोपाध्याय पंडित राम अवतार शर्मा
नलिन विलोचन शर्मा
गंगानाथ झा
ताबिश खैर
कलानाथ मिश्र
आचार्य रामलोचन सरन
गोपाल सिंह नेपाली
बिनोद बिहारी वर्मा
आचार्य रामेश्वर झा
राघव शरण शर्मा
नागार्जुन
आचार्य जानकी बल्लभ शाश्त्री
जैसे महान लेखको का जन्म हुआ !
बिहार - जहाँ बिस्स्मिल्लाह खान का जन्म हुआ
बिहार - जहाँ आज भी दिलो में प्रेम बसता है
बिहार - जहाँ आज भी बच्चे अपने माँ - बाप के पैर दबाये बिना नही सोते
बिहार - जहाँ से सबसे ज्यादा बच्चे देश का सबसे कठिन परीक्षा u .p .s .क और IIT पास करते है
बिहार - जहाँ के गो में आज भी दादा दादी अपने बच्चो को कहानिया सुनाते है
बिहार - जहाँ आज भी भूखे रह के अतिथि को खिलाया जाता है
बिहार - जहाँ के बच्चे कोई सुविधा न होते हुए भी देश में सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी पते है !
हम इसी बिहार के रहने वाले हैं ! तो काहे न करे खुद के बिहारी होने पर गर्व !जय बिहार !!!

मुझे थोडा सा सत्य दो

एक बार बाऊल के पास एक जिज्ञासु साधक आया.
और कहा : मुझे थोडा सा सत्य दो.’
बाऊल ने कहा : ‘अरे भाई ! अगर तुझे लेना है
तो पुरा सत्य ले.
थोडा सत्य तु बरदास्त नही कर पायेगा.’
साधक : ‘वो कैसे ?’ मुझे साबित कर के बताऔ..
तो बाऊल ने साबित करने के लिए
दो पानी से भरे हुए बडे मटके लिए
और उसके सर पर रखे..
लेकिन साधक वजन सहन नही कर पाया,
तो बाऊल ने वो मटके उतार दिये...
और कहा :‘अब मेरे साथ नदी पर चलो.’ वहा बाऊल
ने को साधक पानी मेँ डुबकी लगाने को कहा..
साधक ने पानी मेँ दो चार डुबकी लगाई और
नदी से बाहर आया...
फिर बाऊल ने कहा : ‘यहा पर उन दो मटको से भी
ज्यादा पानी है
लेकिन तुझे जरा सा भी भार नही लगा...
क्योकि..
पुर्ण सत्य का भार कभी होता नही, लेकिन
उसको अलग थोडा सत्यरुप लेने मेँ आता है
तब भार लगता है .’

महात्मा बुद्ध















एक बार महात्मा बुद्ध रास्ते से गुज़ररहे थे! तभी एक आदमी उन्हें जोर जोर सेगाली देने लगा! महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और चुप चाप आगे चल दिए!
ये सब देख कर वो अजनबी आश्चर्य में पड़ गया और महात्मा बुद्ध से पूछा,"मैंने आपको इतनी गालियाँ दी पर आपने कोई प्रतिकार तक नही किया और न ही बदले में मुझसे कुछ कहा!"
महात्मा बुद्ध बोले, "मान लो मैं अभी तुम्हे कुछ सामान दूं और तुम उसे न लो,तो मेरी चीज़ किसके पास रहेगी?"
आदमी बोला, "आपके पास!"
महात्मा बुद्ध हँसे और बोले, "बस ठीक इसी तरह तुमने मुझे गालियाँ दी पर मैंने स्वीकार नही की, तो वो तुम्हारे पास ही रह गयी!"
आदमी महात्मा बुद्ध के पैरो में गिर पड़ा!
इस कहानी का औचित्य बस इतना है कि सामने वाला वही देगा, जो उसके पास है पर हमे सिर्फ उतना ही लेना चाहिए जो हमारे काम का है!

स्वभाव








एक बार एक भला आदमी नदी किनारे बैठा था। तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर गया है। भले आदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में उठा लिया। बिच्छू ने उस भले आदमी को डंक मार दिया। बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया।
भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए दुबारा उठा लिया। बिच्छू ने दुबारा उस भले आदमी को डंक मार दिया। भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया।
भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए एक बार फिर उठा लिया। वहाँ एक लड़का उस आदमी का बार-बार बिच्छू को पानी से निकालना और बार-बार बिच्छू का डंक मारना देख रहा था। उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?"
भले आदमी ने कहा, "बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना। जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?"
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Six ethics of life
Before you pray - Believe
Before you speak - Listen
Before you spend - Earn
Before you write - Think
Before you quit - Try &
Before you die - live !!

आज उसका दिन है...













आज उसका दिन है...

पी. जी. कॉलेज का छोटा सा सेमिनार हाल भरा हुआ था. सम्मान समारोह कम प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसा कुछ आर्गनाइज़ किया गया था. आगे की लाईनों में जिले के सारे पत्रकार, उनके फ़ोटोग्राफ़र और कॉलेज के गुरु जी लोग बैठे हुए थे, और पीछे तमाम छात्र-छात्राओं में ठसम-ठस मचा हुआ था. एक ही पंखा था जो चोंए-चोंए कर के चल रहा था, और सारा धकियाना-मुकियाना उसी के नीचे पहुँचने के लिए हो रहा था. 

चर्रर्र...की आवाज़ के साथ सामने डाईस के बगल वाला बड़ा सा दरवाज़ा खुला और उसमे से प्रिसिपल साहब, उनका चपरासी, अशोक गुरु जी और ग्रे पैंट में बाहर लटकी झक सफ़ेद शर्ट पहने एक लड़का अन्दर घुसे. इनके अन्दर आते ही हाल में ख़लबली मच गई. पीछे की भीड़ में से लोग उचक-उचक के देखने के चक्कर में एक-दूसरे का पैर धांगने और देह कचरने लगे.
"बेटा आप लोग आगे आ जाईये..सारी खिड़कियाँ खोल लीजिये और हाँ...इधर...कुर्सियों के बगल में इतनी जगह है तो..." अशोक गुरु जी ने व्यवस्था सम्हालते हुए कहा, तब जा के थोड़ी स्थिति सुधरी.

"मेरी आवाज़ वहाँ...पीछे तक सुनाई दे रही है सबको?" अशोक गुरु जी ने पूछा.
"हाँ सर" ढेर सारी आवाज़ एक साथ आई.
"ठीक है...मैं ये माईक हटा देता हूँ फ़िर...ये हल्ला बहुत करता है." कहकर गुरु जी ने चपरासी से माईक हटवा दिया.
शुरूआती सम्बोधनों और औपचारिकताओं के बाद गुरु जी ने कहा...
"मेरा पत्रकार बन्धुओं से आग्रह है कि वो पहले इस छोटे से सत्र को पूरा सुन लें...उसके बाद भी अगर उनका कोई प्रश्न अनुत्तरित रह गया हो, तो, अलग से समय ले सकते हैं."
थोड़ा गला ठीक करके गुरु जी ने कहना शुरू किया "इसके पहले कि ढेर सारी बातें हों, मैं आप लोगों को एक रात की घटना सुनाता हूँ...तीन साल पहले की बात है. जाड़े की रात थी, और मैं ट्रेन से कहीं से आ रहा था. आपको तो पता ही है, हमारे यहाँ कितनी भीड़ होती है स्टेशन पे...और जाड़े की रात हो तो पूछना ही क्या...है ना ?"
"हा-हा-हा-हा..." हाल में हँसी तैर गई.
"तो कुल मिला के दो-एक लोग ही थे स्टेशन पे. मैं स्टेशन से बाहर आया. अभी रिक्शा ख़ोज ही रहा था, कि एक लड़का मेरे पास आया. उसने झुक के मेरा पैर छुआ और बोला - लाइए गुरु जी अपना सामान मुझे दीजिए. अब मैं बड़ा हैरान हुआ कि भाई रात के डेढ़ बजे ऐसे पाले में...ये कौन है..? दिमाग में पचासों सवाल. मैंने भी सोचा कि है ही क्या मेरे पास कि बेवजह परेशान रहूँ? मैंने भी दे दिया कि लो भाई. फ़िर उसने मुझे एक रिक्शे पे बिठाया और ख़ुद जब रिक्शे वाले की जगह बैठ के रिक्शा ले के चल पड़ा तो मैं हडबडाया...
पूछा - अरे भाई...ये किसका रिक्शा उठा के चल दिए तुम? और रिक्शा वाला कहाँ है?
वो मुस्कुरा के बोला - गुरु जी मेरा ही रिक्शा है ये.
मैंने पूछा - तुम रिक्शा चलाते हो?
उसने कहा - जी गुरु जी.
मैंने पूछा - और मुझे कैसे जानते हो?
तब उसने कहा - गुरु जी आपकी इतिहास की फस्ट ईयर की क्लास में हूँ मैं. मुझे तो एक बारकी यकीन ही नहीं हुआ कि ये सच है.
फ़िर मैंने उससे पूछा - कभी क्लास भी आते हो?
उसने कहा - जी गुरु जी रोज़ आता हूँ.
अब मैं हैरान कि ये रोज़ क्लास भी करता है, रोज़ रिक्शा भी चलाता है. मैंने सोचा ये झूठ बोल रहा है.
मैंने फ़िर पूछा - परसों भी आए थे?
उसने कहा - जी गुरु जी.
मैंने चट से पूछा - अच्छा तो बताओ मैंने क्या पढ़ाया था?
उसके बाद जो उसने कहा उस उत्तर ने मुझे चौंका दिया.
उसने कहा - गुरु जी आप उत्तर वैदिक काल के ऐतिहासिक स्रोतों की चर्चा पर ही रुक गए थे, वहीँ से कल की क्लास में पढ़ाना है.
मैं "हूँ" बोल के सोचने लगा कि जिस लड़के ने मेरे पढ़ाने से पहले ही प्राचीन भारतीय इतिहास का काल विभाजन पढ़ लिया हो उससे मैं और क्या पूछूँ !
खैर मेरी जिज्ञासा बढ़ी और मैंने उससे पूछा - भाई एक बात बताओ, तुम रोज़ रिक्शा चलाते हो?
वो बोला - जी गुरु जी.
मैंने पूछा - रोज़ रात में?
उसने कहा - जी गुरु जी.
फ़िर तुम सोते कब हो? - मैंने पूछा.
उसने कहा - सो कर ही आ रहा हूँ गुरु जी. दोपहर तीन बजे जब कॉलेज ख़त्म हो जाता है तो घर जाकर सो जाता हूँ, फ़िर शाम को साढ़े सात बजे उठता हूँ और सत्तू पी के स्टेशन आ जाता हूँ, क्यूँकि शाम वाली सारी गाड़ियों का वक़्त हो जाता है. फ़िर नौ-साढ़े नौ तक वापस चला जाता हूँ, और खाना खा के सो जाता हूँ. फ़िर एक-डेढ़ बजे तक वापस आ जाता हूँ और अभी आने वाली एक-दो ट्रेन निपटा के वापस घर चला जाता हूँ.
मैं अवाक रह गया.
मैंने पूछा - फ़िर तुम पढ़ते कब हो?
वो बोला - अभी की शिफ्ट निपटा के तीन बजे तक मैं घर चला जाऊँगा, फ़िर सुबह सात-आठ बजे तक पढूँगा. फ़िर खाना खा के नौ-दस बजे तक कॉलेज.
मेरा इतना कहकर चुप हो जाना ही पर्याप्त है, पर नहीं, क्यूँकि असल बात अब शुरू होती है. मैंने घर पहुँचकर जब उसे पैसा देना चाहा तो उसने मना कर दिया.
मैं समझता हूँ, क्यूँकि मैं भी अपने गुरु जी से नहीं ले पाता. पर उसने मुझसे जो माँगा, वो मैंने भी अपने गुरु जी से कभी नहीं माँगा.
उसने कहा - गुरु जी...लाईब्रेरी के इस्तेमाल के लिए हमारी क्लास को सोमवार का दिन नियत है, और लाइब्रेरी खुलने का समय एक से तीन बजे तक है, जिस समय हम लोगों की क्लास चलती रहती है...और किताबों की संख्या भी कम है. जिससे बड़ी समस्या होती है. अगर आप कहेंगे तो लाइब्रेरी का समय थोड़ा ठीक हो जाएगा. इससे बड़ी मदद हो जाएगी, गुरु जी.
मैंने कभी सोचा ही नहीं था इस पर. आज जो आप लोग हफ्ते के सातो दिन लाइब्रेरी सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं, ये प्रेरणा भी उसी की थी और कर्मचारियों की कमी से नपटने का ये अनोखा तरीका, कि, कॉलेज में ही इसके लिए एक स्वयंसेवी समूह की स्थापना की जाय, ये विचार भी उसी का था."

गुरु जी कुछ क्षण शान्त हो गए फ़िर कुछ याद करते हुए बोले - "मैं कभी I.C.S. में चयनित हुआ था. वही जिसे आप सभी आज I.A.S. के नाम से जानते हैं. पर मुझे अन्तिम चयन से पहले इसलिए छांट दिया गया, क्यूँकि मुझे घुड़सवारी नहीं आती थी. फ़िर मैंने ये क्षेत्र चुना, और मैंने ढ़ेरों ऐसे शिक्षक बनाए जिन्होंने देश का भविष्य बनाया और सैंकड़ों I.A.S. देश को दिए. आपके प्रिंसिपल साहब भी मेरे ही एक होनहार शिष्य रहे हैं. एक ज़माने से मैंने किसी बच्चे की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी नहीं थी. पर उस रात ने मुझे ये हीरा दे दिया. मैंने कभी भी इसे कुछ अलग नहीं पढ़ाया. मैंने इसे वही पढ़ाया जो तुम सब को पढ़ाया. तुमने कभी कुछ पूछा नहीं और मैंने बताया नहीं. इसने पूछा भी, मैंने बताया भी. बस यही फ़र्क रह गया. मैंने इसमें कुछ बहुत ही अच्छे प्रशासकीय गुण देखे और इसे I.A.S. के लिए तैयार करना शुरू कर दिया. आज परिणाम आपके सामने है.

समस्या ये नहीं है कि आज समय बदल गया है या पहले का समय ऐसा था या वैसा था. हर दौर की अपनी कुछ सच्चाई, अपनी कुछ मजबूरियाँ और अपनी ही चुनौतियाँ होती हैं. आप पहले के वक़्त में नहीं थे. उसे हमने अपने तरीक़े से जिया और उससे अपनी तरह से निपटे. हम कल नहीं रहेंगे. कल तुम्हारा है. इसे अपनी तरह से निपटो. आदर्शों और प्रतिमानों की आवश्यकता की बातें सब बेमानी हैं. जिन आदर्शों की बातें की जाती हैं, उनके सामने कौन से आदर्श थे...और उनके सामने...और उनके भी सामने? तो सच्चाई यही है, कि, जब भीतर आग लगी होगी तो तुम पानी ख़ुद ही ख़ोज लोगे.

"...चलो ये सब बातें तो हमारे-तुम्हारे बीच क्लास में भी हो जाएँगी. आज उसका दिन है...उसे ही सुनो..." कह कर जैसे ही अशोक गुरु जी ने उसका नाम पुकारा हाल तालियों की ज़बरदस्त तड़तड़ाहट से गूँज उठा. वो मुस्कुराता हुआ उठा. गुरु जी के पैर छुए, और सामने आकर खड़ा हो गया. बार-बार कुछ बोलने को होता और फ़िर सबकी ओर मुस्कुराता हुआ देखकर शर्माकर वापस गुरु जी की ओर देखने लगता...आख़िर तालियाँ रुकें तब ना !

- अजय आनन्द

Via : The Weekend






मैं कब तक तुम्हे जगाता रहूँ


















मैं कब तक तुम्हे जगाता रहूँ,
वक़्त हाथ से निकल रहा है ,
मैं कब तक अकेले लड़ता रहूँ ,
देश हाथ से फिसल रहा है ,
मैं कब तक अकेले समेटता रहूँ ,
देश नित विखर रहा है ,
मैं कब तक खुद को समझाता रहूँ ,
अब मेरा होंसला टूट रहा है ,
मैं कब तक अकेले बचाता रहूँ ,
देश सब के सामने लुट रहा है ,
मैं कब तक तुम्हे जगाता रहूँ,
देश हाथ से छुट रहा है , जय हिन्द

NAJARIYA











एक अमीर पिता अपने बेटे को भारत की गरीबी दिखाने
के लिये एक गाँव मेँ ले गया
ग्राम भ्रमण के बाद पिता ने गरीबोँ के बारे मेँ
पूँछा --
बेटा बोला :
हमारे पास एक कुत्ता है और ग्रामीणोँ के पास
चार - चार
हमारे पास छोटा सा स्वीमिँग पूल है और उनके
पास लम्बी नदी
हमारे पास बल्ब ट्रयूबलाईट है और उनके पास
सितारे
हमारे पास जमीन का एक छोटा सा टूकड़ा है
और उनके पास बड़ा
हम खुद अपना काम नहीँ करपाते हमारे पास
काम करने के लिये नौकर हैँ और वो अपना काम
भी करते है दूसरोँ का भी
हम अन्न खाते हैँ और वो उगाते हैँ
हमारे पास सुरक्षा के लिये मकान है और उनके
पास मित्र ...
पिता निरुत्तर था
तब बेटा बोला :"हम कितने गरीब हैँ ये दिखाने के
लिये धन्यवाद पापा

ऐसे करें सिविल सर्विसेज की तैयारी

ऐसे करें सिविल सर्विसेज की तैयारी









सिविल सर्विसेज की परीक्षा
यूपीएसएसी के सिविल सर्विसेज एग्जाम का प्रिलिम्स 26 मई को होगा। पिछले कुछ सालों के दौरान इस एग्जाम में तमाम बदलाव हुए हैं। इस साल से मेन्स में भी कुछ नए नियम लागू कर दिए गए हैं। इन तमाम बदलावों के बीच कैसे करें इस प्रतिष्ठित एग्जाम की तैयारी, बता रहे हैं गौतम आनंद...

यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रमुख और सम्मानित परीक्षा है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा निर्देशित नियमों के मुताबिक अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के ग्रुप क और ग्रुप ख पदों पर भर्ती के लिए यूपीएससी हर साल सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। आयोग हर साल फरवरी, मार्च में इसके लिए विज्ञापन निकालता है। मई के तीसरे या चौथे रविवार को प्री, नवंबर में मेन्स और अगले साल मार्च-अप्रैल में इंटरव्यू का आयोजन किया जाता है। फाइनल रिजल्ट मई के पहले या दूसरे हफ्ते तक घोषित कर दिया जाता है। जहां तक कुल वेकेंसी का सवाल है तो यह अमूमन 900 से 1100 के बीच होती हैं। इस साल सिविल सेवा प्री एग्जाम का आयोजन 26 मई को होना है। मेन्स एग्जाम 8 नवंबर से होंगे।

बदलाव की बात
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 यूपीएससी ने इस साल यानी 2013 से सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिए परीक्षा के तरीके में कुछ बदलाव किया है। इस नए फॉर्मैट में अब जनरल स्टडीज पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।
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 मेन्स एग्जाम में पहली बार जनरल स्टडीज के सिलेबस में नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और ऐप्टिट्यूड को शामिल किया गया है। डीओपीटी ने तमाम पेपर्स के अधिकतम अंकों के मामले में भी अच्छा खासा बदलाव किया है।
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 सिविल सेवा मेन्स एग्जाम 2013 से जनरल स्टडीज के 250-250 अंकों के चार अनिवार्य पेपर होंगे।
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 उम्मीदवार द्वारा चुने गए किसी एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के दो पेपर भी 250-250 अंकों के होंगे।
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 निबंध के पेपर को 200 से बढ़ाकर 250 कर दिया गया है।
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 इंटरव्यू के 300 अंकों को घटाकर अब 275 कर दिया गया है।
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 पहले जनरल स्टडीज के केवल दो अनिवार्य पेपर 300-300 अंकों के होते थे और दो ऑप्शनल सब्जेक्ट में हरेक के दो-दो पेपर 300-300 नंबर के होते थे।

शैक्षणिक योग्यता
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 कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष योग्यता होनी चाहिए।
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 ग्रैजुएशन के फाइनल इयर के उम्मीदवार भी प्री एग्जाम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन जब वे मेन्स के लिए अप्लाई करेंगे तो उन्हें ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल कर लेने का सर्टिफिकेट पेश करना होगा।

उम्र
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 जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट की उम्र 21 से 30 साल के बीच होनी चाहिए।
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 ओबीसी के उम्मीदवारों के मामले में अधिकतम तीन साल, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए अधिकतम पांच साल की छूट का प्रावधान है।
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 उम्र की गणना के लिए विज्ञप्ति प्रकाशन वाले साल के अगस्त महीने की पहली तारीख को मानक माना जाता है।

अवसरों की संख्या
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 जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट को चार बार और ओबीसी कैंडिडेट्स को सात बार परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है।
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 अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए अवसरों का कोई प्रतिबंध नहीं है।
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 यहां यह जानना भी जरूरी है कि प्री एग्जाम के किसी भी पेपर में शामिल होने को ही अवसर के रूप में गिना जाता है, सिर्फ अप्लाई करने को नहीं।

रिजर्वेशन
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 इस एग्जाम में सरकार द्वारा तय तरीके से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, ओबीसी और शारीरिक रूप से अक्षम उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
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 अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5% और ओबीसी के लिए 27% तक आरक्षण दिया जाता है।

सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 से जुड़ी जरूरी इंफर्मेशन...
26
 मई को होगा सिविल सर्विसेज-2013 प्री एग्जाम
8
 नवंबर से होगा सिविल सर्विसेज-2013 मेन्स एग्जाम
मार्च-अप्रैल 2014 में होगा इंटरव्यू
275
 अंकों का होगा अब इंटरव्यू, पहले था 300 का
1000
 से 1100 तक होती हैं कुल वैकेंसी
5
 लाख के करीब भरे जाते हैं कुल फॉर्म
13
 गुना (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं मेन्स एग्जाम में
करीब 3 गुने (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं इंटरव्यू में


एग्जाम
सिविल सेवा परीक्षा के दो चरण होते हैं:
1.
 मेन्स एग्जाम के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए सिविल सेवा प्री एग्जाम होता है। यह ऑब्जेक्टिव होता है।

2.
 प्री क्वॉलिफाई करने वाले लोगों को सिविल सेवा मेन्स एग्जाम देना होता है, जिसमें लिखित परीक्षा के अलावा इंटरव्यू भी होता है।

एग्जाम में बैठने का फैसला लेने से एक साल पहले या अगर ग्रैजुएशन कर रहे हों तो इसके फाइनल इयर से इसकी तैयारी शुरू कर दें। तैयारी शुरू करने से पहले सिलेबस, प्रश्न-पत्र, उपयोगी पत्र-पत्रिकाओं, न्यूज पेपरों, किताबों और दूसरे सभी पहलुओं की सूची बनाकर सिलसिलेवार ढंग से तैयारी शुरू करनी चाहिए।

1. प्री एग्जाम

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 प्री एग्जाम में ऑब्जेक्टिव टाइप के 200-200 अंकों के दो पेपर होते हैं। यह एग्जाम सिर्फ उसी साल के मेन्स एग्जाम के लिए कैंडिडेट्स की स्क्रीनिंग के लिए होता है।
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 इस एग्जाम में मिले नंबरों को फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जाता।
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 मेन्स एग्जाम में शामिल होने वाले योग्य कैंडिडेट्स की संख्या विज्ञप्ति में प्रकाशित कुल वेकेंसी की संख्या का लगभग 12 से 13 गुना होती है।
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 यूपीएससी मेन्स एग्जाम में शामिल होने के लिए कैंडिडेट का चयन प्री में मिले नंबरों के आधार पर करता है।

रूपरेखा
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 प्री में जनरल स्टडीज के पहले पेपर में 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
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 दूसरे पेपर सिविल सर्विसेज ऐप्टिट्यूड टेस्ट (सीसेट) में 80 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
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 दोनों पेपरों के लिए 200-200 अंक निर्धारित हैं।
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 हर पेपर को 2 घंटे के भीतर हल करना होता है।
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 प्रश्नों के उत्तर देने के लिए ओएमआर शीट पर सही गोले को काले बॉल पेन की मदद से रंगना होता है।
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 हर प्रश्न के लिए चार ऑप्शन होते हैं। गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक कट जाता है।
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 सीसेट के डिसिजन मेकिंग वाले प्रश्नों में निगेटिव मार्किंग न होकर सबसे सही से लेकर कम सही तक क्रमश: अंकों में कमी आती जाती है।

तैयारी
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 जहां तक तैयारी का सवाल है तो सबसे पहले उम्मीदवार को जनरल स्टडीज के विभिन्न भागों की एक सामान्य समझ विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए कक्षा 7 से लेकर 12 तक की भूगोल, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विज्ञान आदि महत्वपूर्ण विषयों की टेक्स्ट बुक का अध्ययन करना चाहिए।
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 जनरल स्टडीज के सिलेबस में भारत का इतिहास, भारत एवं विश्व भूगोल, भारतीय राजतंत्र और शासन, पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक विकास, पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और सामान्य विज्ञान को शामिल किया जाता है। तैयारी के लिए इन सभी विषयों या टॉपिक्स को पूरी गहनता के साथ और समसामयिक घटनाक्रम से इन्हें जोड़कर पढ़ना चाहिए।
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 अगर हम पिछले सालों के पेपर्स को गंभीरता से देखें तो हम पाते हैं कि अब तथ्यात्मक प्रकृति के प्रश्नों की तुलना में ऐसे प्रश्न ज्यादा आते हैं जिनसे यह पता चल सके कि आपके कॉन्सेप्ट कितने साफ हैं और आपको विषय की कितनी गहरी समझ है। इसलिए स्टूडेंट्स को तैयारी के दौरान विषय के सभी भागों का गहन अध्ययन करना चाहिए।
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 भूगोल पढ़ते वक्त मानचित्रों, इंटरनेट आदि की मदद लेनी चाहिए।
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 इतिहास पढ़ते वक्त इसके सभी भागों यानी प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास की गंभीरता से पढ़ाई करनी चाहिए। हाल के सालों में समसामयिक घटनाक्रम को अलग से न पूछकर संबंधित विषयों की अवधारणा से जोड़कर पूछा जा रहा है। पढ़ते वक्त अर्थशास्त्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भूगोल, राजनीतिक व्यवस्था के हालिया घटनाक्रम पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए रोजाना कुछ अच्छे न्यूजपेपर और मैग्जीन्स पढ़नी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण इंटरनेट की सहायता जरूर लेनी चाहिए।
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 दूसरे भाग सीसेट के सिलेबस में कॉम्प्रिहेंशन या बोधगम्यता संचार कौशल सहित इंटरपर्सनल स्किल, लॉजिकल रीजनिंग, ऐनालिटिकल एबिलिटी, सामान्य मानसिक योग्यता, बेसिक गणित, डाटा इंटरप्रटेशन और अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंशन शामिल हैं।

सीसेट की तैयारी से जुड़े कुछ जरूरी और उपयोगी सुझाव ये हैं...
1.
 अंग्रेजी और हिंदी कॉम्प्रिहेंशन पर खास ध्यान देना चाहिए क्योंकि 40 से 50% प्रश्न यहीं से होते हैं।
2.
 इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करनी चाहिए।
3.
 रीजनिंग, मैथ्स और मानसिक योग्यता के प्रश्नों की रोज प्रैक्टिस करनी चाहिए।
4.
 अगर अंग्रेजी के प्रश्न को समझने या करने में कठिनाई हो तो अपने अंग्रेजी के ज्ञान को बेहतर करने की कोशिश करें।
5.
 कई बार कॉम्प्रिहेंशन के प्रश्न का हिंदी में अनुवाद जटिल होने के कारण दिक्कत आती है। वैसी स्थिति में प्रश्न के अंग्रेजी में छपे भाग से मदद लेनी चाहिए।

2. मेन्स एग्जाम

यह एग्जाम का सबसे महत्वपूर्ण व निर्णायक भाग है क्योंकि कुल प्राप्तांक का 85%
 से ज्यादा वेटेज इसी का होता है। इस परीक्षा में प्राप्त किए गए अंकों की अधिकता न केवल इंटरव्यू का रास्ता साफ करती है, बल्कि अंतिम रूप से चयन और मेरिट में ऊपर आने में भी निर्णायक भूमिका अदा करती है। इसलिए परीक्षा में शामिल विषयों और इनके अंकों पर नजर डालना जरूरी है: 

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 मेन्स एग्जाम में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चुनी गई कोई एक भाषा और अंग्रेजी के पेपर मैट्रिकुलेशन स्तर के होते हैं, जिनमें केवल पास होना होता है। इन पेपरों में प्राप्त अंकों को फाइनल मेरिट में नहीं जोड़ा जाता।
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 मेन्स में आए नए बदलाव द्वारा आयोग ने उम्मीदवारों के बीच वैकल्पिक विषयगत विषमता को दूर करते हुए सामान्य अध्ययन के क्षेत्र को ज्यादा बढ़ा दिया है। अपने उत्तर लिखने के लिए स्टूडेंट्स को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा या अंग्रेजी में लिखने की छूट है।
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 टाइम मैनेजमेंट कामयाबी की पहली कुंजी है।
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 जनरल स्टडीज पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना बेहद जरूरी है।
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 अप्लाई करने से पहले ही ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन और उसके पूरे सिलेबस की पढ़ाई पूरी कर लेनी चाहिए।
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 अगर जनरल स्टडीज के सिलेबस के तहत शामिल विषयों से जुड़े ऑप्शनल सब्जेक्ट चुने जाएं तो तैयारी के दौरान काफी समय की बचत हो सकती है।
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 उत्तर देते वक्त तय शब्द-सीमा का पालन करते हुए गैरजरूरी विस्तार से बचना चाहिए।
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 मुख्य परीक्षा की तैयारी के दौरान लगने वाले समय को जनरल स्टडीज के लिए 60%, ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए 30% और निबंध के लिए 10% के रूप में बांटकर तैयारी करनी चाहिए।
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 निबंध का अभ्यास बेहद जरूरी है। इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। कई उम्मीदवार परीक्षा भवन में ही अपना पहला निबंध लिखने के कारण इसका नुकसान उठाते हैं।
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 आपके उत्तरों में मौलिकता झलकनी चाहिए। किसी कोचिंग संस्थान, किताब या किसी दूसरे स्त्रोत की पूरी नकल उतार देना सही नहीं है।
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 उत्तर अगर समसामयिक घटना-क्रम से जुड़ रहा हो तो जरूर जोड़ें।
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 उत्तर के महत्वपूर्ण भाग को अंडरलाइन, ग्राफ, चित्रों, मानचित्रों की मदद से पेश करना अच्छे नंबर लाने के लिए जरूरी है।
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 जवाब में प्रश्न की मांग के मुताबिक उसके सभी भाग का अगर मुमकिन हो तो बिंदुवार उत्तर दें।
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 ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन सोचसमझकर करें।

पेपर
अंक
संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चुनी गई कोई एक भारतीय भाषा
300
अंग्रेजी
300
निबंध
250
जनरल स्टडीज-1
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज)
250
जनरल स्टडीज-2
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज)
250
सामान्य अध्ययन-3
(प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण सुरक्षा, आपदा प्रबंधन)
250
सामान्य अध्ययन-4
(नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि)
250
ऑप्शनल सब्जेक्ट पेपर-1
250
ऑप्शनल सब्जेक्ट पेपर- 2
250
कुल योग
1750
इटरव्यू
275
टोटल
2025


3. इंटरव्यू

इंटरव्यू से पहले
परीक्षा का अंतिम पड़ाव इंटरव्यू है। मेन्स एग्जाम में कैंडिडेट द्वारा लाए गए अंकों में से आयोग द्वारा निर्धारित अंक हासिल करने वालों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। कैंडिडेट का मूल्यांकन एक बोर्ड करता है, जिसके प्रमुख यूपीएससी के मेंबर होते हैं। उनके अलावा 4 या 5 और सदस्य बोर्ड में शामिल होते हैं। इंटरव्यू की तैयारी मेन्स एग्जाम देने के 15 दिन बाद से शुरू करनी चाहिए और हर रोज इसके लिए 2 से 3 घंटे की तैयारी भरपूर होती है। तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स इस तरह हैं:

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 न्यूजपेपर, पत्रिकाओं, न्यूज चैनलों को सरसरी निगाह से देखने की बजाय ध्यान लगाकर पढ़ना-सुनना चाहिए।
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 चर्चा में रहे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के प्रासंगिक या ज्वलंत मुद्दों पर खास ध्यान देते हुए अपनी मित्र-मंडली से इसकी चर्चा करनी चाहिए।
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 इंटरव्यू डायरी बनाकर उसके महत्वपूर्ण घटनाक्रमों, अपने बायो-डेटा से जुड़े सभी पहलुओं जैसे हॉबी, शिक्षण संस्थान आदि की पूरी जानकारी रखनी चाहिए।
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 मॉक इंटरव्यू का अभ्यास करना चाहिए।
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 अपने इंटरव्यू का विडियो बनाकर अपनी कमियों को जानने की कोशिश करनी चाहिए।

इंटरव्यू के दौरान
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 सबसे जरूरी है, बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्नों को ध्यान से सुनना। अगर ठीक से सुन या समझ न पाए हों तो सॉरी कहकर प्रश्न दुहराने का निवेदन करें।
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 उत्तर देने से पहले थोड़ा ठहरें, फिर शांति से उत्तर दें। जल्दबाजी महंगी साबित हो सकती है।
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 सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स पहले रखें।
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 उत्तर देते वक्त ईमानदार बने रहें। उत्तर न मालूम हो तो विनम्रतापूर्वक बोर्ड से क्षमा मांग लें।
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 उदार, छोटे व संतुलित उत्तर पर जोर दें।
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 किसी भी विचारधारा, धर्म, पार्टी, भाषा, प्रजाति के प्रति तटस्थ रहने की कोशिश करें।
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 बॉडी-लैंग्वेज का खासा ध्यान रखें। उत्तर देते वक्त आई-टु-आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें।
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 कमरे में प्रवेश करते वक्त या कमरा छोड़ते वक्त बोर्ड सदस्यों का अभिवादन या शुक्रिया करना जरूरी है।

अलग-अलग विषयों/व्यवसायों के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन
यूपीएससी द्वारा प्री एग्जाम में सीसेट शामिल किए जाने के बाद इसमें काफी बदलाव आ चुका है। एक ताजा सर्वे में पिछले तीन साल के अंदर अंतिम रूप से चयनित कैंडिडेट में विषय/व्यवसाय, लिंग, क्षेत्र और माध्यम के छात्रों का प्रदर्शन इस तरह रहा है:
मानदंड
वर्ष
2011
2010
2009
इंजिनियरिंग
44%
35%
26%
मेडिकल
14%
10%
7%
कला
20%
26%
24%
महिला
22%
18%
28%
ग्रामीण
70%
57%
66%
अंग्रेजी माध्यम
90%
85%
82%



हिंदी के स्टूडेंट्स की समस्या
पिछले सालों में हिंदी के स्टूडेंट्स के अंतिम रूप से चयन होने का प्रतिशत काफी कम है। सीसेट के आने से और इसके पेपर में शामिल अंग्रेजी के 8-10 प्रश्नों, रीजनिंग, डिसिजन मेकिंग, गणित, सामान्य मानसिक योग्यता, कॉम्प्रिहेंशन के जटिल अनुवाद आदि ने प्री में ही हिंदी भाषी छात्रों की सफलता के प्रतिशत को काफी हद तक प्रभावित किया है। हिन्दी भाषी उम्मीदवार को तैयारी के पहले चरण की बाधा को दूर करने के लिए अपनी सीसेट पेपर की तैयारी पर खास ध्यान देना होगा।

कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट्स
1. www.pib.nic.in
2. www.wikipedia.org
3. www.bbc.com
4. www.prsindia.com
5. www.indiaenvironmentportal.org.in
6. www.thediplomat.com