Saturday, June 1, 2013

मुझे थोडा सा सत्य दो

एक बार बाऊल के पास एक जिज्ञासु साधक आया.
और कहा : मुझे थोडा सा सत्य दो.’
बाऊल ने कहा : ‘अरे भाई ! अगर तुझे लेना है
तो पुरा सत्य ले.
थोडा सत्य तु बरदास्त नही कर पायेगा.’
साधक : ‘वो कैसे ?’ मुझे साबित कर के बताऔ..
तो बाऊल ने साबित करने के लिए
दो पानी से भरे हुए बडे मटके लिए
और उसके सर पर रखे..
लेकिन साधक वजन सहन नही कर पाया,
तो बाऊल ने वो मटके उतार दिये...
और कहा :‘अब मेरे साथ नदी पर चलो.’ वहा बाऊल
ने को साधक पानी मेँ डुबकी लगाने को कहा..
साधक ने पानी मेँ दो चार डुबकी लगाई और
नदी से बाहर आया...
फिर बाऊल ने कहा : ‘यहा पर उन दो मटको से भी
ज्यादा पानी है
लेकिन तुझे जरा सा भी भार नही लगा...
क्योकि..
पुर्ण सत्य का भार कभी होता नही, लेकिन
उसको अलग थोडा सत्यरुप लेने मेँ आता है
तब भार लगता है .’

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